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सोमवार, 3 अप्रैल 2023

सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 नोट्स (Civil Rights Protection Act-1955 Notes)

 


सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 नोट्स (Civil Rights Protection Act-1955 Notes)




सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग एक (Civil Rights Protection Act-1955 Part One)


सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम- 1955  के मुख्य उद्देश्य :

1.  अस्पृशयता के लिए दंड की व्यवस्था करना।

2.  अस्पृश्यता का आचरण के लिये दंड की व्यवस्था।

3. अस्पृशयता से उपजी किसी निर्योग्यता के लिए दंड का प्रावधान करना।


          भारत राज्य के छठे वर्ष में संसद दुवारा निम्नलिखित रूप से यह अधिनियमित हो --


धारा 1.   संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :

1. यह अधिनियम "सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम- 1955" कहलायेगा
 
2.  इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
 
3. यह उस तारिख  को प्रवृत्त होगा, जिसे केंद्रीय सरकार  शा शासकीय  राजपत्र में अधिसूचना दुवारा नियत करे।

 
व्ख्याय :

नाम - सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 .
 
विस्तार (लागू ): सम्पूर्ण भारत पर।
 
लागू होने की तारिख : 1 जून 1955

धारा 2. परिभाषाएँ : इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित ना हो-

(क ) "सिविल अधिकार" से कोई ऐसा अधिकार अभिप्रेत है, जो संविधान के अनुच्छेद-17  दुवारा "अस्पृशयता" का अंतर कर दिए जाने के कारण किसी व्यक्ति को प्रोद्भूत होता है।   और अधिक जाने (See  More)






सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग दो (Civil Rights Protection Act-1955 Part Two)


धारा -04.  सामाजिक निर्योग्यताये लागू करने के लिए दण्ड :

जो कोई किसी व्यक्ति के विरुद्ध निम्लिखित के सम्बन्ध में कोई निर्योग्यता 'अस्पृश्यता' के आधार पर लागू करेगा वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक क्षह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपये और अधिक से अधिक पाँच सौ रुपये तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा -------

(i) किसी दुकान, लोक उपहारगृह, होटल या लोक मनोरंजन स्थान में प्रवेश करना अथवा 

(ii) किसी लोक उपहारगृह, होटल, धर्मशाला, सराय या मुसाफिरखाने में, जनसाधारण या उसके किसी विभाग के व्यक्तियों के, जिसका वह व्यक्ति हो, उपयोग में रखने गए किन्ही बर्तनों या अन्य वस्तुओं का उपयोग करना, अथवा  

(iii) कोई वृति करना या उपजीविका, या किसी काम में नियोजन, अथवा 

(iv) ऐसे किसी नदी, जलधारा, जलस्त्रोत, कुएँ, तालाब, हॉज, पानी के नल या जल के अन्य स्थान का या किसे स्नान घाट का, कब्रिस्तान या श्मशान, स्वच्छता सम्बन्धी सुविधा, सड़क या रस्ते या लोक अभिगम के 

अन्य स्थान का, जिसका उपयोग करने के लिए या जिसमे प्रवेश करने के जनता के अन्य सदस्य, या उसके किसी विभग के व्यक्ति जिसका वह व्यक्ति हो, अधिकरवान हो, उपयोग करना या उसमे प्रवेश करना, अथवा 

(v) राज्य निधियों से पूर्णतया या अंशत: पोषित पूर्व या लोक प्रयोजन के लिए उपयोग में लाये जाने वाले या जनसाधारण के या उसके किसी विभाग के लिए जाने वाले या  जनसाधारण के या उसके किसी विभाग के व्यक्तियों के, जिसका वह व्यक्ति हो, उपयोग के लिए समर्पित स्थान का, उपयोग करना या उसमे प्रवेश करना  अथवा 

(vi)  जनसाधारण के या उसके किसी विभाग के व्यक्तियों के, जिसका वह व्यक्ति हो, फायदे के लिए सुष्ट किसी पूर्त न्यास के अधीन किसी फायदे का उपयोग करना, अथवा 

(vii) किसी सार्वजनिक सवारी का उपयोग करना या उसमे प्रवेश करना, अथवा  

(viii) किसी भी परिक्षेत्र में, किसी निवास परिसर का सन्निर्माण, अर्जन या अधिभोग करना, अथवा 

(ix) किसी ऐसी धर्मशाला, सराय या मुसाफिरखाने का, जो जनसाधारण या उसके किसी विभाग के व्यक्तियों के लिये, जिसका वह व्यक्ति हो, खुला हो, उपयोग ऐसे व्यक्ति के रूप में करना, अथवा 

(x) किसी सामाजिक या धार्मिक रूढ़ि, प्रथा या कर्म का अनुपालन या किसी धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक जुलूस में भाग लेना या ऐसा जुलूस निकलना, अथवा 

(xi) आभूषणों और अंलकारों का उपयोग करना 

स्पष्टीकरण --
 इस धारा के प्रयोजनों के लिए 'कोई निर्योग्यता लागू करना ' के अंतर्गत 'अस्पृश्यता' के आधार पर विभेद करना है।  और अधिक जाने (See  More)





सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग तीन (Civil Rights Protection Act-1955 Part Three)


धारा- 07 . अस्पृश्यता उद्भभूत  अन्य अपराधो के लिए दण्ड :


1. (क ): किसी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत अस्पृश्यता के  अंत होने से  उसको प्रोदभूत होने बाले किसी अधिकार का प्रयोग करने सेनिवारित करेगा  अथवा


1. (ख): किसी व्यक्ति को किसी अधिकार के प्रयोग में उत्पीड़ित करेगा क्षति पहुंचाएगा, क्षुब्ध  करेगा,  बाधा डालेगा या बाधा कारित  करेगा या कारित  करने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति के,  कोई ऐसे अधिकार प्रयोग करने के कारण उसेपीड़ित करेगा, क्षति पहुंचाएगा , क्षुब्ध करेगा या उसका बहिष्कार करेगा अथवा

1. (ग): किसी व्यक्ति या व्यक्ति वर्ग  या जनसाधारण को बोले गए या  लिखित शब्दों द्वारा या  संकेतों द्वारा या दृश्य रूपणो  द्वारा या  अन्यथा किसी भी रूप में अस्पृश्यता का आचरण करने के लिए उद्दीप्त या प्रोत्साहित करेगा अथवा

1. (घ): अनुसूचित जाति के सदस्य का  अस्पृश्यता के आधार पर अपमान करेगा या अपमान करने का प्रयत्न करेगा,

वह कम से कम एक मास  और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी,  जो कम से कम एक सौ रुपए और अधिक से अधिक रुपए 500 तक का हो सकेगा दंडनीय होगा। 

स्पष्टीकरण - 1.  किसी व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा की वह अन्य व्यक्ति का बहिष्कार करता है जब वह :-

1. (क): ऐसे अन्य व्यक्ति को कोई ग्रह या  भूमि पट्टे पर देने से इनकार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति को किसी ग्रह या भूमि के उपयोग या  अधिभोग के लिए अनुज्ञा देने से इनकार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ व्यवहार करने से उसके लिए भाड़े पर काम करने से या उसके साथ कारबार  करने से या उसकी कोई रुणीगत सेवा करने से या उससे कोई रुणीगत सेवा करने से या उसके कोई रुणीगत  सेवा लेने से इनकार करता है या उक्त  बातों मैं से किसी को ऐसे निबंधन पर करने से इनकार करता है जिन पर ऐसी बातें कारबार के साधारण अनुक्रम मैं सामान्यतया की जाती है अथवा

1. (ख): ऐसे सामाजिक वृत्तिक  या कारोबारी से  संबंधों से विरत  रहता है, जैसे वह  ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ साधारणतया बनाए रखता है

स्पष्टीकरण - 2. खण्ड  1. (ग): के प्रयोजनों के लिए कोई व्यक्ति 
(i): प्रत्यक्षतः  या अप्रत्यक्षतः अस्पृश्यता का यो किसी रूप में इसके आचरण का प्रचार करेगा, अथवा 

(ii) किसी रूप में अस्पृश्यता के आचरण को चाहे ऐतिहासिक,  दार्शनिक या धार्मिक आधारों पर या जाति व्यवस्था कि किसी परंपरा के आधार पर या किसी अन्य आधार पर न्योचित ठहराऐगा। 

 तो इसके बारे में यह समझा जायेगा कि वह अस्पृश्यता के आचरण को उद्दीप्त या प्रोत्साहित करता है।  और अधिक जाने (See  More)




सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग चार (Civil Rights Protection Act-1955 Part Fourth)


धारा: 8: कुछ दशकों में अनुज्ञप्तियों का रद्द या निलंबित होना किया जाना:-

जबकि वह व्यक्ति जो धारा- 6 के अधीन किसी अपराध का दोषसिद्ध हो,  किसी ऐसे वृत्ति, व्यापार, आजीविका या नियोजन के बारे में जिस के संबंध में अपराध किया गया हो,  कोई अनुज्ञप्ति किसी तत्समय प्रवृत विधि के अधीन रखता हो, तब उस अपराध का विचारण करने वाला न्यायालय किसी अन्य ऐसी शास्ति पर जिससे वह व्यक्ति उस धारा के अधीन दंडनीय हो,  प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, निर्देश दे सकेगा की वह अनुज्ञप्ति रद्द होगा या ऐसी कालावधी के लिए,  जितनी न्यायालय ठीक समझे,  निलंबित रहेगी और अनुज्ञप्ति को  इस प्रकार रद्द या निलंबित करने वाले न्यायालय का प्रत्येक के आदेश ऐसे प्रभावी होगा, मानो वह आदेश उस प्राधिकारी द्वारा दिया गया  हो, जो किसी ऐसी विधि के अधीन अनुज्ञप्ति को रद्द या निलंबित करने के लिए सक्षम था। 


 स्पष्टीकरण:-

 इस धारा  मैं अनुज्ञप्ति के तहत अनुज्ञा पत्र या अनुजा भी है। 


व्याख्या :

धारा: 8: कुछ दशकों में अनुज्ञप्तियों का रद्द या निलंबित होना किया जाना:-

जब कोई व्यक्ति धारा 6 के अधीन किसी अपराध का दोषसिद्ध हो,  किसी ऐसे वृत्ति, व्यापार, आजीविका या नियोजन के बारे में जिस के संबंध में अपराध किया गया हो और ऐसा कोई  कार्य करने के लिए तत्समय प्रवृत (लागू) किसी विधि के अधीन अनुज्ञप्ति धारण करता हो तो न्यायालय निर्देश दे सकेगा कि ऐसी कोई अनुज्ञप्ति रद्द होगी या न्यायालय ठीक समझे, उसी अवधि के लिए निलंबित कर सकेगा। 

नोट: अनुज्ञप्ति के तहत अनुज्ञापत्र या अनुजा भी  शामिल है। 

धारा:9; सरकार द्वारा किए गए अनुदानों का पुनर्ग्रहण या निलंबन:

जहां की किसी ऐसे लोग पूजा स्थान या किसी शिक्षा संस्थान या छात्रावास का प्रबंधक या न्यासी जिसे सरकार से भूमि या धन का अनुदान प्राप्त हो,  इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध हुआ हो, और ऐसी  और अधिक जाने (See  More)





सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग पांच (Civil Rights Protection Act-1955 Part Fifth)




धारा 13: सिविल न्यायालयों की अधिकारिता की परिसीमा:

 (1) यदि सिविल न्यायालय के समक्ष के किसी बाद या कार्यवाही मैं अंतरग्रस्त  दावा या किसी डिक्री या  आदेश का दिया जाना या किसी डिग्री या आदेश का पूर्णतया या भागत: निष्पादन इस अधिनियम के उपबंधों  के 

किसी प्रकार प्रतिकूल हो तो ऐसा न्यायालय न ऐसा कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करेगा या चालू रखेगा और न ही ऐसी कोई डिक्री  या आदेश देगा या ऐसी किसी डिक्री या आदेश का पूर्णतः  या भागत: निष्पादन करेगा। 

(2) कोई न्यायालय किसी बात के न्यायनिर्णयन में या किसी डिक्री  या आदेश के निष्पादन में किसी निर्योग्यता आधिरोपित करने वाले किसी रूढ़ि  या प्रथा को मान्यता नहीं देगा। 

व्याख्या:

 धारा 13- सिविल न्यायालयों की अधिकारिता की परिसीमा:

 यदि सिविल न्यायालय के समक्ष किसी बात या कार्यवाही में अंतर्ग्रस्त  दावा, डिर्की  या आदेश का दिया जाना इस अधिनियम के उपबन्धों  के विपरीत हो तो न्यायालय ना तो किसी ऐसे बाद को ग्रहण करेगा न ही चालू 

रखेगा न ही कोई डिक्री या आदेश देगा। 

 कोई न्यायालय किसी निर्णय या डिक्री  या आदेश  के निष्पादन में किसी व्यक्ति पर अस्पृश्यता के आधार पर कोई निरोग्यता लागू करने वाली किसी रूढ़ी या प्रथा को मान्यता नहीं देगा। 

धारा 14: कंपनियों द्वारा अपराध:

(1) यदि इस  अधिनियम के अधीन अपराध करने वाला व्यक्ति कंपनी हो तो, तो हर ऐसा व्यक्ति जो अपराध किए जाने के समय उस कंपनी के कारोबार के संचालन के लिए,  उस कंपनी का भारसाधक और उस कंपनी के प्रति उत्तरदाई था, उस पर अपराध का दोषी समझा जाएगा और तदनुसार अपने विरूदध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने का भागी होगा: 

परंतु इस धारा के मैं अंतर्विष्ट  किसी भी बात से कोई ऐसा व्यक्ति दंड का भागी न होगा,  यदि वह है यह साबित कर दें कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या ऐसे अपराध काकिया  जाना निवारित करने के लिए उसने सब सम्यक तत्परता बरती थी।  और अधिक जाने (See  More)






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