सोमवार, 3 अप्रैल 2023

Home
अधिनियम
सिविल-अधिकार-संरक्षण-एक्ट-1955
सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग तीन (Civil Rights Protection Act-1955 Part Three)
सिविल अधिकार संरक्षण एक्ट-1955 भाग तीन (Civil Rights Protection Act-1955 Part Three)
धारा- 07 . अस्पृश्यता उद्भभूत अन्य अपराधो के लिए दण्ड :
1. (क ): किसी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत अस्पृश्यता के अंत होने से उसको प्रोदभूत होने बाले किसी अधिकार का प्रयोग करने सेनिवारित करेगा अथवा
1. (ख): किसी व्यक्ति को किसी अधिकार के प्रयोग में उत्पीड़ित करेगा क्षति पहुंचाएगा, क्षुब्ध करेगा, बाधा डालेगा या बाधा कारित करेगा या कारित करने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति के, कोई ऐसे अधिकार प्रयोग करने के कारण उसेपीड़ित करेगा, क्षति पहुंचाएगा , क्षुब्ध करेगा या उसका बहिष्कार करेगा अथवा
1. (ग): किसी व्यक्ति या व्यक्ति वर्ग या जनसाधारण को बोले गए या लिखित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्य रूपणो द्वारा या अन्यथा किसी भी रूप में अस्पृश्यता का आचरण करने के लिए उद्दीप्त या प्रोत्साहित करेगा अथवा
1. (घ): अनुसूचित जाति के सदस्य का अस्पृश्यता के आधार पर अपमान करेगा या अपमान करने का प्रयत्न करेगा,
वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपए और अधिक से अधिक रुपए 500 तक का हो सकेगा दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण - 1. किसी व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा की वह अन्य व्यक्ति का बहिष्कार करता है जब वह :-
1. (क): ऐसे अन्य व्यक्ति को कोई ग्रह या भूमि पट्टे पर देने से इनकार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति को किसी ग्रह या भूमि के उपयोग या अधिभोग के लिए अनुज्ञा देने से इनकार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ व्यवहार करने से उसके लिए भाड़े पर काम करने से या उसके साथ कारबार करने से या उसकी कोई रुणीगत सेवा करने से या उससे कोई रुणीगत सेवा करने से या उसके कोई रुणीगत सेवा लेने से इनकार करता है या उक्त बातों मैं से किसी को ऐसे निबंधन पर करने से इनकार करता है जिन पर ऐसी बातें कारबार के साधारण अनुक्रम मैं सामान्यतया की जाती है अथवा
1. (ख): ऐसे सामाजिक वृत्तिक या कारोबारी से संबंधों से विरत रहता है, जैसे वह ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ साधारणतया बनाए रखता है
स्पष्टीकरण - 2. खण्ड 1. (ग): के प्रयोजनों के लिए कोई व्यक्ति
(i): प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः अस्पृश्यता का यो किसी रूप में इसके आचरण का प्रचार करेगा, अथवा
(ii) किसी रूप में अस्पृश्यता के आचरण को चाहे ऐतिहासिक, दार्शनिक या धार्मिक आधारों पर या जाति व्यवस्था कि किसी परंपरा के आधार पर या किसी अन्य आधार पर न्योचित ठहराऐगा।
तो इसके बारे में यह समझा जायेगा कि वह अस्पृश्यता के आचरण को उद्दीप्त या प्रोत्साहित करता है।
(1 क ): जो किसी व्यक्ति के शरीर या उसकी संपत्ति के विरूद्ध कोई अपराध उसके द्वारा किसी ऐसे अधिकार के जो संविधान के अनुच्छेद 17 के अधीन अस्पृश्यता का अंत करने के कारण उसे प्रौद्भूभूत हुआ है, प्रयोग किए जाने के प्रतिशोध के रूप में या बदला लेने की भावना से अवधि के कारावास से दंडनीय है, वहां कम से कम 2 वर्ष की अवधि के कारावास से और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(2):जो कोई इस आधार पर कि ऐसे व्यक्ति ने अस्पृश्यता का आचरण करने से इनकार किया है या ऐसे व्यक्ति ने इस अधिनियम के उद्देश्यों को अग्रसर करने में कोई कार्य किया है -
(i): अपने समुदाय के या उसके किसी विभाग के किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अधिकार या विशेष अधिकार से वंचित करेगा। जिसके लिए ऐसा व्यक्ति ऐसे समुदाय या विभाग के सदस्य के तौर पर हकदार हो, अथवा
(ii): ऐसे व्यक्ति को जाति च्युत क्यों करने में कोई भाग लेगा,
वह कम से कम एक माह और अधिक से अधिक 6 माह की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी जो कम से कम एक सौ रुपए और अधिक से अधिक रुपए 500 तक का हो सकेगा दंडनीय होगा।
व्याख्या :
धारा (7): अस्पृश्यता से उत्पन्न अन्य अपराधों के लिए दंड :
(1) जो कोई किसी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 17 के अधीन अस्पृश्यता के अंत होने से उसको प्राप्त होने वाले किसी अधिकार का प्रयोग करने से निवारित करेगा, या
(2) किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अधिकार के प्रयोग में उत्पीड़ित करेगा, क्षति पहुंचाएगा, क्षुब्ध (परेशान) करेगा, बाधा डालेगा या इसका प्रयास करेगा।
(3) किसी व्यक्ति व्यक्ति के वर्ग या जनसाधारण को बोले गए, लिखे गए संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा किसी भी रूप में अस्पृश्यता का आचरण करेगा, या करने के लिए किसी को प्रेरित करेगा , निम्नलिखित से दंडनीय होगा -
दंड कम से कम 1 माह हाउस अधिक से अधिक छह माह का कारावास और कम से कम रुपए 100 और अधिक से अधिक रुपए 500 तक का जुर्माना होगा।
स्पष्टीकरण -
बहिष्कार शब्द का अर्थ:-
(1): किसी व्यक्ति को कोई ग्रह या भूमि पट्टे पर देने से इनकार करना।
(2): किसी व्यक्ति को कोई ग्रह या भूमि व्यक्ति को उपभोग या अधिभोग से मना करना।
(3): किसी अन्य व्यक्ति के साथ कारोबार करने से मना करना।
(4): किसी रूढ़ीगत सेवा को करने या लेने से इनकार करना।
(5): अन्य किसी बात के लिए अस्पृश्यता के आधार पर इंकार करना।
आचरण शब्द का अर्थ :-
किसी अस्पृश्यता के आचरण को चाहे ऐतिहासिक, दार्शनिक या धार्मिक आधारों पर जाति व्यवस्था की किसी परंपरा के आधार पर या किसी अन्य आधार पर न्यायोचित ठहराना आएगा।
जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर या उसकी संपत्ति के विरूद्ध उसके द्वारा किसी ऐसे अधिकार के प्रयोग किए जाने के बदला लेने की भावना से करेगा, जो उस व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 17 के अंतर्गत प्राप्त हुए हैं, यदि ऐसे किया गया अपराध 2 वर्ष तक के कारावास तक के लिए दंडनीय हो तो कम से कम 2 वर्ष की अवधि के कारावास से और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
धारा: 7(2):- जो कोई इस आधार पर की किसी व्यक्ति ने अस्पृश्यता का आचरण करने से इनकार किया है या अधिनियम के तहत किए गए प्रावधानों को अग्रसर करने में कोई काम किया है
उसके समुदाय के किसी व्यक्ति या समुदाय द्वारा किसी विशेषाधिकार से वंचित किया जाएगा या जाति से बहिष्कृत किया जाएगा तो ऐसा जाती बहिष्कृत करने वाले व्यक्ति या समुदाय या विशेषाधिकार से वंचित करने वाले व्यक्ति इस अधिनियम का धारा 7(2) के तहत दण्डनीय होंगे।
दंड :
कारावास 1 से 6 माह तक और
जुर्माना कम से कम रुपए 100 जो अधिकतम रुपए 500 तक हो सकेगा।
धारा: -7 (क): विधि विरुद्ध अनिवार्य श्रम कब अस्पृश्यता का आचरण समझा जाएगा
(i) जो कोई किसी व्यक्ति को सफाई करने या जो बुहारने या कोई पशु हटाने या किसी पशु की खाल खींचने या नाल काटने या किसी प्रकार का कोई अन्य काम करने के लिए अस्पृश्यता के आधार पर मजबूर करेगा , तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अस्पृश्यता से उदभूत निर्योग्यता को लागू किया है।
(ii) जिस किसी के बारे में उप धारा (i) के अधीन यह समझा जाता है कि उसने अस्पृश्यता से उदभूत निर्योग्यता को लागू किया है, कम से कम 3 माह और अधिक से अधिक 6 माह की अवधि के लिए कारावास और जुर्माने से भी, जो कम से कम एक रुपए 100 और अधिक से अधिक रुपए 500 तक का हो सकेगा दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण-
इस धारा के प्रयोजनों के लिए "मजबूर करने" के अंतर्गत सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार करने की धमकी भी शामिल है।
व्याख्या
धारा: 7(क): विधि विरुद्ध अनिवार्य श्रम कब अस्पृश्यता का आचरण समझा जाएगा
(1)जो कोई किसी व्यक्ति को साफ सफाई करने
(2)पशु सब हटाने
(3)किसी पशु की खाल खींचने यह इसी प्रकार का कोई अन्य काम करने के लिए अस्पृश्यता के आधार पर मजबूर करेगा उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अस्पृश्यता से उत्पन्न होने वाली निर्योग्यता को लागू किया है।
ऐसी नर योग्यताएं लागू करने के लिए दंड:
कम से कम 3 माह का कारावास जो अधिकतम 6 माह तक हो सकेगा और जुर्माना कम से कम 100 रुपए पीस जो अधिकतम रुपए 500 तक हो सकेगा।
नोट:-
किसी काम को करने के लिए मजबूर करने के तहत सामाजिक व आर्थिक बहिष्कार करने की धमकी भी आती है। और आगे जाने अगले लेख मे
और अधिक जाने (Know more):
Tags
# अधिनियम
# सिविल-अधिकार-संरक्षण-एक्ट-1955
Share This

About Bharti Study Online
सिविल-अधिकार-संरक्षण-एक्ट-1955
Labels:
अधिनियम,
सिविल-अधिकार-संरक्षण-एक्ट-1955
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author BHARTI STUDY ONLINE
"BHARTI STUDY ONLINE" भारत के सभी कॉन्पिटिटिव एग्जामों के लिए फ्री में सामान्य ज्ञान की स्टडी को प्रोवाइड कराने वाली एक ऑनलाइन एजुकेशन वेबसाइट है। जिस पर भारत के सभी विद्यार्थियों जो सभी परीक्षाओ जैसे : संघ लोक सेवा आयोग (IAS, IPS, IES... ), राज्य लोग सेवा आयोग (MPPSC, UPPSC etc. ), बैंक, SSC, SI, रेलवे, Teacher etc. के लिए सभी विषयों का संम्पूर्ण पाठ्यक्रम topic by topic अध्ययन सामग्री हिंदी में उपलब्ध होगी। विषयों के नाम जैसे : सामान्य अध्ययन, कम्प्यूटर, इतिहास, भूगोल, लोक प्रशाशन, विज्ञान, गणित, रीजनिंग, सांख्यकी, हिंदी, निबंध, अर्थशारत्र, sports, News, पुरस्कार, संविधान etc.... आदि।
Learn More →
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें