रविवार, 2 अप्रैल 2023

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अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण ) एक्ट - 1989 नोट्स (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Notes)
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण ) एक्ट - 1989 नोट्स (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Notes)
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण एक्ट-1989 नोट्स (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Notes)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग एक (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act-1989 Part One)
प्राचीन साहित्य अस्पृश्यों की श्रेणी के लिये अंत्यज, पंचम और चंडाल इत्यादि का उल्लेख किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 341 में राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी जाती समूह को अनुसूचित घोषित कर सकता है।
संविधान के अनूच्छेद 366(24) में अनुसूचित जातियों को निम्नवत रूप में परिभाषित किया गया है -
अनुसूचित जातियों से तात्पर्य ऐसी जातियों से है जो मूलवंश, या जनजातिया अथवा ऐसी जातियो, मूलवंश या जनजातियों के भाग या उनमें से यूथ अभिप्रेत है जिन्हें संविधान के प्रयोजनों के लिये अनूच्छेद 341के अधीन अनुसूचित जातियाँ समझा जाता है।
Tribe जनजाति संविधान के अनूच्छेद 366(25) में परिभाषित किया जाता है संविधान के अनूच्छेद 342 में राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी भी जनजाति समूह को अनुसूचित जाति घोषित कर सकता है।
विकास की मुख्य धारा से पृथक हो जाने के कारण अनुसूचति जाति और जनजाति का सामाजिक ओर आर्थिक रूप से शोषण किया जा रहा है यह देखते हुए स्वतंत्रता के 42वे वर्ष और भारत गणराज्य के 40वे वर्ष में अनुसूचति जाति और जनजातियों के उत्थान और शोषण को रोकने के लिये "अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989" लागू किया गया जिसके उद्देश निम्न है ---
१. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के सदस्य पर अत्याचार का अपराध करने का निवारण करने के लिये।
२. अत्याचार से सम्बन्धित अपराधों के लिये विशेष न्यायालय स्थापित करने के लिये।
३. अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों को रहत देने के लिये और उससे सम्बंधित आनुपातिक विषयों का उपबंध करने के लिये।
अध्याय -1
प्रारंभिक
धारा १. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ -
(१.१). इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम "अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989" है।
(१.२) इसका विस्तार जम्बू कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण राज्य में होगा। (परन्तु अब आगस्त २०19 से मोदी सरकार ने धारा 370 और 35A को समाप्त कर दिया है। )
(१.३) यह उस तारिख को प्रवृत होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना दुवारा, नियत करे। 30 जनवरी 1990से लागू।
धारा २. परिभाषाए -
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो।
(क). "अत्याचार": अत्याचार से धारा 3 के अधीन दंडनीय अपराध अभिप्रेत है।
(खक). "संहिता": संहिता से तात्पर्य "दण्ड प्रक्रिया संहिता", 1973(1974 का 2)अभिप्रेत है।
(खख). "आश्रित": आश्रित से तात्पर्य पीड़ित का ऐसा पति या पत्नी, बालक, माता- पिता, भाई और बहिन जो ऐसे पीड़ित पर अपनी सहायता और भरण-पोषण के लिये पूर्णतः या मुख्यतः आश्रित है।आगे और अधिक जाने (See More):
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग दो (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act-1989 Part Two)
अध्याय 02
अत्याचार
धारा 3: अत्याचार के अपराधों के लिए दण्ड -
(3.1): कोई भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है -
3.1(क): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्यके मुख में कोई अखाध या घृणाजनक पदार्थ रखता है या ऐसे सदस्य को ऐसे अखाध या घृणाजनक,
3.1(क.1): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्यके मुख में कोई अखाध या घृणात्मक पदार्थ रखता है या ऐसे सदस्य को ऐसे अखाध या घृणात्मक पदार्थ पीने या खाने के लिए मजबूर करेगा,
3.1(क.2): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य दुवरा दखलकृत परिसरों में या परिसरों में प्रवेश द्वार पर मल -मूत्र , नल, पशु -शव या कोई अन्य घृणात्मक पदार्थ इकक्ठा करेगा।,
3.1(क.3): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को क्षति करने, अपमानित करने या क्षुब्द करने के आशय से उसके पड़ोस में मल -मूत्र , कूड़ा, पशु -शव या कोई अन्य घृणात्मक पदार्थ इकक्ठा करेगा,
3.1(क.4): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को जूतों की माला पहनाएगा या नग्न या अर्ध नग्न घुमायेगा,
3.1(क.5): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य पर बलपूर्वक ऐसा कोई कार्य करेगा, जैसा व्यक्ति के कपड़े उतरना, बलपूर्वक सिर का मुंडन करना, मुंछे हटाना, चेहरे या शरीर को पोतना या ऐसा कोई अन्य कार्य करना, जो मानव गरिमा के विरूद्ध है,
3.1(क.6): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के स्वामित्त्वाधीन या उसके आवंटित या किसी सक्षम प्राधिकारी दुवारा उसे आवंटित किये जाने के लिए अधिसूचित किसी भूमि को सदोष अधिभोग में लेगा या उस पर खेती करेगा या उस आवंटित भूमि को अंतरित करेगा,
3.1(क.7): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को उसकी भूमि या परिसर से सदोष बेकब्जा करेगा या किसी भूमि या परिसरों या जल या सिंचाई सुविधाओं पर वन अधिकारों सहित उसके अधिकारों की उपभोग में हस्तक्षेप करेगा या उसकी फसल को नष्ट करेगा या उसके उत्पाद को ले जायेगा ;
स्पष्टीकरण :
खण्ड 3.1(क.5 ): और इस खंड के प्रयोजन के लिए 'संदोष' पद में निम्नलिखित सम्मिलित है,
(अ). व्यक्ति की इच्क्षा के विरुद्ध,
(आ). व्यक्ति की सहमति के बिना
(इ). व्यक्ति की सहमति से, जहाँ ऐसी सहमति, व्यक्ति या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति को, जिसके व्यक्ति हितबद्ध है, मृत्यु या उपहित का भय दिखाकर, अभिप्राप्त की गई है, या
3.1(क.6): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को 'बेगार' करने के लिए या सरकार दुवारा लोक प्रयोजनों के लिए अधिरोपित किसी अनिवार्य सेवा से भिन्न अन्य समरूप प्रकार के बलात्श्रम या बंधुआ मजदूरी के लिए विवश करेगा या फुसलायेगा।
(झा).: अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को मानव या पशु शवों को अंत्येष्टि या ले जाने या कब्रों को खोदने के लिए विवश करेगा।
(ञ): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य कोहाथ से सफाई करने के लिए तैयार करेगा या ऐसे प्रयोजन के लिए ऐसे सदस्य का नियोजन करेगा या नियोजन को अनुज्ञात करेगा ,
(ट): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की स्री को देवदास के रूप में पूजा, मंदिर या किसी अन्य धार्मिक संस्थान की देवी, मूर्ति या पात्र के समर्पण को जैसी ही किसी अन्य प्रथा को निष्पादित या संवर्धन करेगा या पूर्वोक्त कार्यो को अनुज्ञात करेगा
(ठ): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को, निम्नलिखित के लिए मजबूर या अभित्रस्त या निवारित करेगा:---
(अ): मतदान न करने या किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या विधि दुवारा उपबंधित से भिन्न रीति से मतदान करने,
(आ): किसी अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्देशन फाइल न करने या ऐसे नामनिर्देशन को प्रत्याहत करने, या
(इ): किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी के रूप में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के नामनिर्देशन का प्रस्ताव या समर्थन नहीं करेगा,
(ड): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी ऐसे सदस्य को, संविधान के भाग 9 के अधीन पंचायत या संविधान के भाग 9क के अधीन नगरपालिका का सदस्य या अध्यक्ष या अन्य बाद का धारक है, उसके सामान्य कर्तव्यों या कुर्त्यो के पालन में मजदूरों या अभित्रस्त या बाधित करेगा ;
(ढ़): मतदान के पश्चात, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्य को,उपहित या घोर उपहित या हमला करेगा या सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार अधिरोपित करेगा या अधिरोपित करने की धमकी देगा या किसी ऐसे लोक सेवा के उपलब्ध फायदों से निवारित करेगा, जो उसको प्राप्त है :
(ण): किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या उसको मतदान नहीं करने या विधि दुवारा उपबंधित रीति से मतदान करने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरूद्ध इस अधिनियम के अधीन कोइ अपराध करेगा ;
(त): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्य के विरूद्धमिथ्या द्वेषपूर्ण या तंग करने वाला वाद दाण्डिक या अन्य विधिक कार्यवाही संस्थित करेगा।
(थ): किसी लोक सेवक को कोई मिथ्या या तुच्क्ष जानकारी देगा और उसके दुवारा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्य क्षति पहुंचाने या क्षुब्ध करने के लिए ऐसे लोक सेवक से उसकी विधिपूर्वक शक्ति का प्रयोग कराएगा।
(द): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्य को अवमानित करने के आशय से लोक दृष्टि में आने वाली किसी स्थान पर अपमानित या अत्रिस्त करेगा ;
(ध): लोक दृष्टि से आने वाले किसी स्थान पर जाति के नाम से अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य कोगाली गलौच करेगा ;
(न): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्यों दुवारा सामान्यतया धार्मिक मणी जाने वाली या अति श्रद्धा से ज्ञात किसी वस्तु को नष्ट करेगा, हानि पहुँचायेगा या अपवित्र करेगा ;आगे और अधिक जाने (See More):
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग तीन (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act-1989 Part Three)
धारा 3.2: अत्याचारों के अपराध के लिए दंड :
धारा- (3.2 ) अत्याचारों के अपराध के लिए दंड :
कोई भी व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है
(i):मिथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा जिससे उसका आशय अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को किसी ऐसे अपराध के लिए जो ततसमय प्रवृत विधि द्वारा मृत्युदंड से दंडनीय है। दोष सिद्धि कराना है या वह यह जानता है कि इससे उसका दोष सिद्धि होना संभाव्य है। वह आजीवन कारावास से और जुर्माने से दंडनीय होगा और यदि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी निर्दोष सदस्य को ऐसे मिथ्या या गड़े हुए साक्ष्य के फलस्वरुप दोष सिद्धि किया जाता है और फांसी दी जाती है तो वह व्यक्ति, जो ऐसा मिथ्या साक्ष्य देता या गढ़ता है, मृत्युदंड से दंडनीय होगा,
(ii):मिथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा जिससे उसका आशय अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को किसी ऐसे अपराध के लिए जो मृत्युदंड से दंडनीय नहीं है। किन्तु सात वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय है, दोष सिद्धि कराना है या वह यह जानता है कि उससे दोष सिद्धि होना संभाव्य है, वह कारावास से जिसकी अवधि छह माह से कम नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष या उससे अधिक की हो सकेगी और जुर्माने से, दंडनीय होगा,
(iii):अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा रिष्ट करेगा जस्ट करेगा जिससे उसका आशय अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना है या वह यह जानता है कि उससे ऐसा होना संभाव्य है वह कारावास से, जिसकी अवधि 6 माह से कम कि नहीं होगी किंतु जो 7 वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से डंडे नहीं होगा,
(iv):अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा रिष्ट करेगा जस्ट करेगा जिससे उसका आशय किसी ऐसे भवन को जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य द्वारा साधारण का पूजा के स्थान के रूप में या मानव आवास के स्थान के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के लिए किसी स्थान के रूप में उपयोग किया जाता है, नष्ट करता है या वह यह जानता है कि उससे ऐसा होना संभाव्य है, वह आजीवन कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा।
(v): भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अधीन 10 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय कोई अपराध किसी व्यक्ति या संपत्ति के विरुद्ध इस आधार पर करेगा कि ऐसा व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य है या ऐसी संपत्ति ऐसे सदस्य की है, वह आजीवन कारावास से, और जुर्माने से, दंडित होगा,
(v क): अनुसूची में विनिर्दिष्ट कोई अपराध किसी व्यक्ति या संपत्ति के विरूद्ध, यह जानते हुए करेगा कि ऐसा व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य है या वह संपत्ति ऐसे सदस्य की है, वह ऐसे अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता के अधीन यथा विनिर्दिष्ट दंड से दंडनीय होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा है,
(vi): यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि इस अध्याय के अधीन कोई अपराध किया गया है, वह अपराध किये जाने के किसी साक्ष्य को, अपराधी को विधिक दंड से बचाने के आशय से गायब करेगा या उस आशय से अपराध के बारे में कोई जानकारी देगा जो वह जानता है या विश्वास करता है कि वह मिथ्या है, वह उस अपराध के लिए उपबंधित दंड से दंडनीय होगा।
(vii): लोक सेवक होते हुए इस धारा के अधीन कोई अपराध करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि 1 वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु जो उस अपराध के लिए उपबंधित दंड तक हो सकेगी, दंडनीय होगा। आगे और अधिक जाने (See More):
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग चार (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act -1989 Part Fourth)
अध्याय 3
निष्कासन (धारा 10 - 13)
धारा 10: ऐसे व्यक्ति को हटाया जाना जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है:-
(1) जहां विशेष न्यायालय का, परिवाद या पुलिस रिपोर्ट पर, यह समाधान हो जाता है कि संभाव्यता है कि कोई व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 244 में यथानिर्दिष्ट "अनुसूचित क्षेत्रों" या
"जनजाति क्षेत्रों" में सम्मिलित किसी क्षेत्र से इस अधिनियम के अध्याय 2 के अधीन कोई अपराध करेगा वहां वह, लिखित आदेश द्वारा, ऐसे व्यक्ति को यह निर्देश दे सकेगा कि वह ऐसे क्षेत्रों की सीमाओं से परे, ऐसे मार्ग से होकर और इतने समय के भीतर हट जाएं, जो आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाएं, और 2 वर्ष से आनधिक ऐसी अवधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, उस क्षेत्र में जिससे हट जाने का उसे निर्देश दिया गया था, वापस न लौटे।
(2) विशेष न्यायालय उपधारा (1) के अधीन आदेश के साथ उस उपधारा के अधीन निर्दिष्ट व्यक्ति को वे आधार संसूचित करेगा जिन पर वह आदेश किया गया है।
(3) विशेष न्यायालय उस व्यक्ति द्वारा जिसके विरुद्ध ऐसा आदेश किया गया है, या उसकी और से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आदेश की तारीख से 30 दिन के भीतर किए गए अभ्यावेदन पर ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे उपधारा (1) के अधीन किए गए आदेश को प्रीतिसंहत या उपांतरित कर सकेगा।
धारा 11: किसी व्यक्ति द्वारा संबंधित क्षेत्र से हटने में असफल रहने और वहां से हटने के पश्चात उस में प्रवेश करने की दशा में प्रक्रिया:-
(1) यदि कोई व्यक्ति जिसको धारा 10 के अधीन किसी क्षेत्र से हट जाने के लिए कोई निर्देश जारी किया गया है-
(क) निर्देश किए गए रूप में हटने में असफल रहता है, या
(ख) इस प्रकार हटने के पश्चात उपधारा 2 के अधीन विशेष न्यायालय की लिखित अनुज्ञा के बिना उस क्षेत्र में ऐसे आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर प्रवेश करता है,
तो विशेष न्यायालय उसे गिरफ्तार कर सकेगा और उसे उस क्षेत्र के बाहर ऐसे स्थान पर, जो विशेष न्यायालय विनिर्दिष्ट करें, पुलिस अभिरक्षा में हटवा सकेगा।आगे और अधिक जाने (See More):
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग पांच (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act-1989 Part Fifth)
अध्याय 4 (क)
पीड़ित और साक्षी के अधिकार
धारा 15 (क): पीड़ित और साक्षी के अधिकार :-
(1) राज्य का किसी प्रकार के अभित्रास, प्रपीड़न या उत्प्रेरण या हिंसा या हिंसा की धमकियों के विरुद्ध पीड़ितों, उसके आश्रितों और साक्षियों के संरक्षण के लिए व्यवस्था करना, कर्तव्य और उत्तरदायित्व होगा।
(2) पीड़ित से निष्पक्षता, सम्मान और गरिमा के साथ तथा किसी ऐसी विशेष आवश्यकता के साथ, जो पीड़ित की आयु या लिंग या शैक्षणिक या गरीबों के कारण उत्पन्न होती है, व्यवहार किया जाएगा।
(3) किसी पीड़ित या उसके आश्रितों को, किसी न्यायालय की कार्यवाही की युक्ति युक्त, यथार्थ और समय से सूचना का अधिकार होगा, जनमें जमानत प्रक्रिया सम्मिलित है और विशेष लोक अभियोजक या राज्य सरकार पीड़ित को इस अधिनियम के अधीन किन्ही कार्रवाइयों के बारे में सूचित करेगी।
(4) किसी पीड़ित या उसके आश्रित को, यथास्थिति विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय को किन्ही दस्तावेजों या सारवान साक्षियों को प्रस्तुत करने के लिए पक्षकारों को समन करने या उपस्थित व्यक्तियों की परीक्षा करने के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा।
(5) कोई पीड़ित या उसका आश्रित, किस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में अभियुक्त की जमानत, उनमोचन, निर्मुक्ति,परिवीक्षा, सिद्धदोष या दण्डादिष्ट या सिद्धदोष, दोषमुक्ति या दण्डादिष्ट पर य किसी संबंध कार्यवाहीयो या बहस और सिद्धदोष करने के संबंध में कोई संबंध कार्यवाही या बहसें और लिखित तुर्क फाइल करने के संबंध में किन्ही कार्रवाइयों में सुने जाने का हकदार होगा।
(6) दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का2) मैं किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन किसी मामलों का विचारण करने वाला विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय ,पीड़ित, उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्षियों को निम्नलिखित प्रदान करेगा:- आगे और अधिक जाने (See More):
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