रविवार, 2 अप्रैल 2023

Home
अधिनियम
अनुसूचित-जाति-और-जनजाति-अत्याचार-निवारण-एक्ट-1989
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग पांच (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Part Fifth)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग पांच (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Part Fifth)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग पांच (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Part Fifth)
अध्याय 4 (क)
पीड़ित और साक्षी के अधिकार
धारा 15 (क): पीड़ित और साक्षी के अधिकार :-
(1) राज्य का किसी प्रकार के अभित्रास, प्रपीड़न या उत्प्रेरण या हिंसा या हिंसा की धमकियों के विरुद्ध पीड़ितों, उसके आश्रितों और साक्षियों के संरक्षण के लिए व्यवस्था करना, कर्तव्य और उत्तरदायित्व होगा।
(2) पीड़ित से निष्पक्षता, सम्मान और गरिमा के साथ तथा किसी ऐसी विशेष आवश्यकता के साथ, जो पीड़ित की आयु या लिंग या शैक्षणिक या गरीबों के कारण उत्पन्न होती है, व्यवहार किया जाएगा।
(3) किसी पीड़ित या उसके आश्रितों को, किसी न्यायालय की कार्यवाही की युक्ति युक्त, यथार्थ और समय से सूचना का अधिकार होगा, जनमें जमानत प्रक्रिया सम्मिलित है और विशेष लोक अभियोजक या राज्य सरकार पीड़ित को इस अधिनियम के अधीन किन्ही कार्रवाइयों के बारे में सूचित करेगी।
(4) किसी पीड़ित या उसके आश्रित को, यथास्थिति विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय को किन्ही दस्तावेजों या सारवान साक्षियों को प्रस्तुत करने के लिए पक्षकारों को समन करने या उपस्थित व्यक्तियों की परीक्षा करने के लिए आवेदन करने का अधिकार होगा।
(5) कोई पीड़ित या उसका आश्रित, किस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में अभियुक्त की जमानत, उनमोचन, निर्मुक्ति,परिवीक्षा, सिद्धदोष या दण्डादिष्ट या सिद्धदोष, दोषमुक्ति या दण्डादिष्ट पर य किसी संबंध कार्यवाहीयो या बहस और सिद्धदोष करने के संबंध में कोई संबंध कार्यवाही या बहसें और लिखित तुर्क फाइल करने के संबंध में किन्ही कार्रवाइयों में सुने जाने का हकदार होगा।
(6) दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का2) मैं किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन किसी मामलों का विचारण करने वाला विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय ,पीड़ित, उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्षियों को निम्नलिखित प्रदान करेगा:-
(क) न्याय सुनिश्चित करने के लिए,
(ख) अन्वेषण जांच और विचारण के दौरान यात्रा तथा भरण-पोषण व्यय और
(ग) अन्वेषण, जांच और विचारण के दौरान सामाजिक आर्थिक पुनर्वास
(घ) पुनः स्थान
(7) राज्य, संबंद्ध विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय को, किसी पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्षियों को प्रदान किए गए संरक्षण के बारे में सूचित करेगा और ऐसा न्यायालय प्रस्थापित किए गए संरक्षण का आवधिक रूप में पुनर्विलोकन करेगा तथा समुचित आदेश पारित करेगा।
(8 )उपधारा (6) के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले विना, संबद्ध विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय के समक्ष किन्ही कार्यवाहीयो में किसी पीड़ित या उसके आश्रित, सूचनाकर्ता या साक्षी द्वारा या ऐसे पीड़ित या सूचनाकर्ता या साक्षी के संबंध में विशेष लोक अभियोजक दुवारा किये गए आवेदन पर या स्वेच्छा से ऐसे उपाय, जिनमे निम्नलिखित सम्मलित है, कर सकेगा -
(क) जनता की पहुंच योग्य मामले की उसके आदेशों या निर्णय में या किन्हीं अभिलेखों में साक्षियों के नाम और पतो को छुपाना,
(ख) साक्षियों की पहचान और पतो का अप्रकटन करने के लिए निर्देश जारी करना।
(ग) पीड़ित सूचनाकर्ता या साक्षी के उत्पीड़न से संबंधित किसी शिकायत के संबंध में तुरंत कार्रवाई करना और उसी दिन, यदि आवश्यक हो, संरक्षण के लिए समुचित आदेश पारित करना,
परंतु खंड (ग) के अधीन प्राप्त शिकायत की जांच या अन्वेषण ऐसे न्यायालय द्वारा मूल्य मामले से पृथक रूप से विचार किया जाएगा और शिकायत की प्राप्ति की तारीख से 2 माह की अवधि के भीतर पूरा किया जाएगा,
परंतु यह और कि जहां खंड (ग) के अधीन कोई शिकायत लोक सेवक के विरुद्ध है, वहां न्यायालय ऐसे लोकसेवक को, न्यायालय की अनुज्ञा के सिवाह, लंबित मामलों से संबंधित या असंबंधित किसी भी विषय में, यथास्थिति, पीड़ित, सूचनाकर्ता या साक्षी के साथ हस्तक्षेप सेअवरूद्ध करेगा।
(9) अन्वेषण अधिकारी और थाना अधिकारी का, पीड़ित सूचनाकर्ता या साक्षियों के अभित्रास या उत्प्रेरण या हिंसा या हिंसा की धमकियो के विरूद्ध शिकायत को अभिलिखित करने का कर्तव्य होगा। चाहे वह मौखिक रूप से या लिखित में दी गई है, और प्रथम सूचना रिपोर्ट की एक फोटो प्रति उनको तुरंत निशुल्क दी जाएगी।
(10) इस अधिनियम के अधीन अपराधों से संबंधित सभी कार्यवाहीया वीडियो अभि लिखित होगी।
(11) संबद्ध राज्य का, न्याय प्राप्त करने में पीड़ितों और साक्षियो के निम्नलिखित अधिकारों और हकों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समुचित स्कीम विनिर्दिष्ट करने का कर्तव्य होगा, जिससे
(क) अभिलिखित प्रथम सूचना रिपोर्ट की निशुल्क प्रदान की जा सके,
(ख) अत्याचार से पीड़ितो या उनके आआश्रितों को नगद या वस्तु में तुरंत राहत प्रदान की जा सके.
(ग) अत्याचार से पीड़ितों या उनके आश्रितों और साक्षियों को आवश्यक संरक्षण प्रदान किया जा सके।
(घ) मृत्यु या उपहति या संपत्ति को नुकसान के संबंध में राहत प्रदान की जा सके।
(ड) पीड़ितों को खाध या जल या कपड़े या आश्रय या चिकित्सकीय सहायता या परिवहन सुविधा या प्रतिदिन भत्तों की व्यवस्था की जा सके।
(च) अत्याचार से पीड़ित और उनके आश्रितों को भरण-पोषण व्यय प्रदान किया जा सके।
(छ) शिकायत करने और प्रथम सूचना रिपोर्ट रजिस्टर करने के समय अत्याचार से पीड़ितों के अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके।
(ज) अभित्रास तथा उत्पीड़न के अत्याचार से पीड़ित हो या उनके आश्रितों और साक्षियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके।
(झ) अन्वेषण और आरोप - पत्र की प्राप्ति पर अत्याचार से पीड़ितो या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनो को जानकारी प्रदान की जा सके तथा निशुल्क आरोपपत्र की प्रति प्रदान की जा सके।
(ज्) चिकित्सीय परीक्षा के समयआवश्यक पूर्वावधानियां की जा सके।
(ट) राहत रकम के संबंध में अत्याचार से पीड़ित या उनके आश्रितों किया सहयुक्त संगठनों को जानकारी प्रदान की जा सके।
(ठ) अन्वेषण और विचारण की तारीख और स्थान के बारे में अग्रिम रूप से अत्याचार से पीड़ितो या उनके आश्रितों या संहयुक्त संगठनों को जानकारी प्रदान की जा सके।
(ङ) अत्याचार से पीड़ित या उनके आश्रितों या संहयुक्त संगठनों या व्यष्टियों के मामले पर और विचारण की तैयारी के लिए पर्याप्त टिप्पणी दिया जा सके तथा उक्त प्रयोजन के लिए विधिक सहायता प्रदान की जा सके।
(ढ़) इस अधिनियम के अधीन कार्यवाहीयो के प्रत्येक क्रम पर अत्याचार पीड़ितों या उनके आश्रितों या सहयुक्त संगठनों या व्यष्टियों के अधिकारों का निष्पादन किया जा सके और अधिकारों का निष्पादन के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके।
(12) अत्याचार से पीड़ितो या उनके आश्रितों का गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक कारकर्ताओ या अधिवक्ताओ से सहायता लेने का अधिकार होगा।
अध्याय 5
प्रकीर्ण:
धारा 16 : राज्य सरकार की सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति:
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 (1955 का 22) की धारा 10 (क) के उपबंध जहां तक हो सके। इस अधिनियम के अधीन सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने और उसे वसूल करने के प्रयोजनों के लिए और उससे संबद्ध सभी अन्य विषयों के लिए लागू होंगे।
धारा 17: विधि और व्यवस्था तंत्र द्वारा निवारक कार्यवाही:-
(1) यदि जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट या किसी पुलिस अधिकारी को, जो पुलिस उपाधीक्षक की पंक्ति से नीचे का ना हो, इत्तिला प्राप्त होने पर और ऐसी जांच करने के पश्चात जो वह आवश्यक समझे, यह विश्वास करने का कारण है कि किसी ऐसे व्यक्ति या ऐसे व्यक्तियों के समूह द्वारा जो अनुसूचित जाति या
अनुसूचित जनजाति के नहीं है और जो उनकी अधिकारीता कि स्थानीय सीमाओं के भीतर किसी स्थान पर निवास करते हैं ,या बार-बार आते जाते हैं, इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने की संभावना है या उन्होंने अपराध करने की धमकी दी है और उसकी यह राय है कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है तो वह है उस क्षेत्र को अत्याचार ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर सकेगा तथा शांति और सदाचार बनाए रखने तथा लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई कर सकेगा और निवारक कार्रवाई कर सकेगा।
(2) संहिता के अध्याय 8, अध्याय 10 और अध्याय 11 के उपबंध जहां तक हो सके, उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए लागू होंगे।
(3) राज्य सरकार, राज्य पत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक स्कीमें वह रीति विनिर्दिष्ट करते हुए बना सकेगी जिसका उपधारा (1) में निर्दिष्ट अधिकारी अत्याचारों के निवारण के लिए तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों में सुरक्षा की भावना पुनः लाने के लिए स्कीम या स्कीमों में विनिर्दिष्ट समुचित कार्रवाई करेंगे।
धारा 18: अधिनियम के अधीन अपराध करने वाले व्यक्तियों को संहिता की धारा 438 का लागू ना होना:-
संहिता की धारा 438 की कोई बात इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने के अभियोग पर किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के किसी मामले के संबंध में लागू नहीं होगी।
टिप्पणी:
इस अधिनियम पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
धारा 19: इस अधिनियम के अधीन अपराध के लिए दोषी व्यक्तियों को संहिता की धारा 307 या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के उपबंध का लागू ना होना :-
संहिता की धारा 307 के उपबंध और अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 (1958 का 20) के उपबंध 18 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे व्यक्ति के संबंध में लागू नहीं होंगे ,जो इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने का दोषी पाया जाता है।
धारा 20: अधिनियम का अन्य विधियों पर अध्यारोही होना:-
इस अधिनियम में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, इस अधिनियम के उपबंध, ततसमय प्रवृत किसी अन्य विधि या किसी रूढ़ि या प्रथा या किसी अन्य विधि के आधार पर प्रभाव रखने वाली किसी लिखित मैं उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे।
धारा 21 :अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्तव्य:-
(1) राज्य सरकार ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए जो केंद्रीय सरकार, इस निमित्त बनाएं, इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ऐसे उपाय करेगी जो आवश्यकता हो,
(2) विशिष्टता और पूर्वगामी उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अंतर्गत निम्नलिखित हो सकेगा:-
(i) ऐसे व्यक्तियों को, जिन पर अत्याचार हुआ है, न्याय प्राप्त करने में समर्थ बनाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं की, जिनके अंतर्गत विधिक सहायता भी है, व्यवस्था।
(ii) इस अधिनियम के अधीन अपराध के अन्वेषण और विचारण के दौरान साक्षियों, जिनके अंतर्गत अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति भी हैं, यात्रा और भरण पोषण के व्यवस्था।
(iii) अत्याचारों से पीड़ित व्यक्तियों के आर्थिक और सामाजिक पुनरुद्धार की व्यवस्था।
(iv) इस अधिनियम के उपबँधो के उल्लंघन के लिए अभियोजन प्रारंभ करने या उनका पर्वेक्षण करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति
(v) ऐसे समुचित स्तरों पर, जो राज्य सरकार, ऐसे उपायों की रचना या उनके क्रियान्वयन के लिए सरकार की सहायता करने के लिए ठीक समझें, समितियों की स्थापना करना।
(vi) इस अधिनियम के मंत्रों के बेहतर क्रियान्वयन करने के लिए उपायों को सुझाव देने की दृष्टि से किस अधिनियम के उपबँधो के कार्यकरण का समय समय पर सर्वेक्षण करने की व्यवस्था।
(vii) उन क्षेत्रों की पहचान जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार होने की संभावना हो और ऐसे उपाय करना जिससे ऐसे सदस्यों की सुरक्षा अभिनिश्चित की जा सके।
(3) केंद्रीय सरकार, ऐसे उपाय करेगी जो उपधारा (1) के अधीन राज्य सरकारों द्वारा किए गए उपायों में समन्वय करने के लिए आवश्यक हो।
(4) केंद्रीय सरकार, प्रत्येक वर्ष संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर इस धारा के बंधुओं के अनुसरण मैं स्वयं उसके द्वारा और राज्य सरकारों द्वारा किए गए उपायों के संबंध में एक रिपोर्ट रखेगी।
धारा 22: सदभावपूर्वक की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण:
इस अधिनियम के अधीन सदभावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए कोई भी बाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्रवाई केंद्रीय सरकार के विरुद्ध या राज्य सरकार या सरकार के किसी अधिकारी या प्राधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के विरूद्ध नहीं होगी।
धारा 23 : नियम बनाने की शक्ति:-
(1) केंद्र सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकेंगी।
(2) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक के नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष जब तक वह सत्र में हो, कुल 30 दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि 1 सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के यहां पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाए तो तत्पश्चात ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाए कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निषप्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभावी होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधि मान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) एक्ट - 1989 संपूर्ण हुआ (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 completed)
और अधिक जाने (Know more):
Tags
# अधिनियम
# अनुसूचित-जाति-और-जनजाति-अत्याचार-निवारण-एक्ट-1989
Share This

About Bharti Study Online
अनुसूचित-जाति-और-जनजाति-अत्याचार-निवारण-एक्ट-1989
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author BHARTI STUDY ONLINE
"BHARTI STUDY ONLINE" भारत के सभी कॉन्पिटिटिव एग्जामों के लिए फ्री में सामान्य ज्ञान की स्टडी को प्रोवाइड कराने वाली एक ऑनलाइन एजुकेशन वेबसाइट है। जिस पर भारत के सभी विद्यार्थियों जो सभी परीक्षाओ जैसे : संघ लोक सेवा आयोग (IAS, IPS, IES... ), राज्य लोग सेवा आयोग (MPPSC, UPPSC etc. ), बैंक, SSC, SI, रेलवे, Teacher etc. के लिए सभी विषयों का संम्पूर्ण पाठ्यक्रम topic by topic अध्ययन सामग्री हिंदी में उपलब्ध होगी। विषयों के नाम जैसे : सामान्य अध्ययन, कम्प्यूटर, इतिहास, भूगोल, लोक प्रशाशन, विज्ञान, गणित, रीजनिंग, सांख्यकी, हिंदी, निबंध, अर्थशारत्र, sports, News, पुरस्कार, संविधान etc.... आदि।
Learn More →
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें