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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग एक (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Part One)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग एक (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Part One)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम - 1989 भाग एक (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Prevention of Atrocities Act - 1989 Part One)
प्राचीन साहित्य अस्पृश्यों की श्रेणी के लिये अंत्यज, पंचम और चंडाल इत्यादि का उल्लेख किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 341 में राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी जाती समूह को अनुसूचित घोषित कर सकता है।
संविधान के अनूच्छेद 366(24) में अनुसूचित जातियों को निम्नवत रूप में परिभाषित किया गया है -
अनुसूचित जातियों से तात्पर्य ऐसी जातियों से है जो मूलवंश, या जनजातिया अथवा ऐसी जातियो, मूलवंश या जनजातियों के भाग या उनमें से यूथ अभिप्रेत है जिन्हें संविधान के प्रयोजनों के लिये अनूच्छेद 341के अधीन अनुसूचित जातियाँ समझा जाता है।
Tribe जनजाति संविधान के अनूच्छेद 366(25) में परिभाषित किया जाता है संविधान के अनूच्छेद 342 में राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी भी जनजाति समूह को अनुसूचित जाति घोषित कर सकता है।
विकास की मुख्य धारा से पृथक हो जाने के कारण अनुसूचति जाति और जनजाति का सामाजिक ओर आर्थिक रूप से शोषण किया जा रहा है यह देखते हुए स्वतंत्रता के 42वे वर्ष और भारत गणराज्य के 40वे वर्ष में अनुसूचति जाति और जनजातियों के उत्थान और शोषण को रोकने के लिये "अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989" लागू किया गया जिसके उद्देश निम्न है ---
१. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के सदस्य पर अत्याचार का अपराध करने का निवारण करने के लिये।
२. अत्याचार से सम्बन्धित अपराधों के लिये विशेष न्यायालय स्थापित करने के लिये।
३. अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों को रहत देने के लिये और उससे सम्बंधित आनुपातिक विषयों का उपबंध करने के लिये।
अध्याय -1
प्रारंभिक
धारा १. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ -
(१.१). इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम "अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989" है।
(१.२) इसका विस्तार जम्बू कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण राज्य में होगा। (परन्तु अब आगस्त २०19 से मोदी सरकार ने धारा 370 और 35A को समाप्त कर दिया है। )
(१.३) यह उस तारिख को प्रवृत होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना दुवारा, नियत करे। 30 जनवरी 1990से लागू।
धारा २. परिभाषाए -
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो।
(क). "अत्याचार": अत्याचार से धारा 3 के अधीन दंडनीय अपराध अभिप्रेत है।
(खक). "संहिता": संहिता से तात्पर्य "दण्ड प्रक्रिया संहिता", 1973(1974 का 2)अभिप्रेत है।
(खख). "आश्रित": आश्रित से तात्पर्य पीड़ित का ऐसा पति या पत्नी, बालक, माता- पिता, भाई और बहिन जो ऐसे पीड़ित पर अपनी सहायता और भरण-पोषण के लिये पूर्णतः या मुख्यतः आश्रित है।
(खग). "आर्थिक बहिष्कार": आर्थिक बहिष्कार से तात्पर्य निम्नलिखित अभिप्रेतो से है -
(खग.1). अन्य व्यक्ति से भाड़े पर कार्य से सम्बंधित संव्यवहार करने या कारबार करने से इंकारकरना ; या
(खग.2). अवसरों का प्रत्याख्यान करना जिनमे सेवओं तक पहुच या प्रतिफल के लिये सेवा प्रदान करने हेतु संविदाजन्य अवसर सम्मिलित है; या
(खग.3). ऐसे निर्बन्धो पर कोई बात करने से इनकार करना जिन पर कोई बात, कारबार के सामान्य अनुक्रम में सामान्यतया की जाएगी ;या
(खग.4). ऐसे वृत्तिक या कारबार सबंधों में प्रतिवितरहना, जो किसी अन्य व्यक्ति से रखे जाए;
(खघ). "अनन्य विशेष न्यायालय" : अनन्य विशेष न्यायालय से तात्पर्य इस अधिनियम के अधीन अपराधों का अनन्य रूप से विचरण करने के लिये धारा 14 की उपधारा (1) के अधीन स्थपित अनन्य विशेष न्यायालय अभिप्रेत है।
(खड.). "वन अधिकार": वन अधिकार से तात्पर्य है कि जो अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006(2007 का 2) की धारा 3 की उपधारा (1) में है ;
(खच). "हाथो से मैला उठाने वाले कर्मी" : हाथो से मैला उठाने वाले कर्मी से तात्पर्य है कि जो हाथो से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (2013 का 25) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (छ) में उसका है;
(खछ). "लोक सेवक": लोक सेवक से तात्पर्य है कि भारतीय दण्ड संहिता, 1860(1860 का 40)की धारा 21के अधीन यथापरिभाषितलोक सेवक और साथ ही तत्समय प्रवृत किसी अन्य बिधी के अधीन लोक सेवक समझा गया कोई अन्य व्यक्ति अभिप्रेत है और जिनमे, यथास्थिती, केंद्र्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन उसकी पदीय हैसियत है और जिनमे, यथास्थिती, केंद्र्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन उसकी पदीय हैसियत से कार्यरत कोई व्यक्ति सम्मिलित है ;
(ग). "अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों": "अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों" के वही अर्थ है जो संविधान के अनूच्छेद 366 के खंड 24 और खंड 25 में है।
(घ) "विशेष न्यायालय": विशेष न्यायालय से तात्पर्य धारा 14 में विशेष न्यायालय के रूप में विनार्दिष्ट कोई सेशन न्यायालय अभिप्रेत है।
(ड.). "विशेष लोक अभियोजक": विशेष लोक अभियोजक से तात्पर्य विशेष लोक अभियोजक के रूप में विनिर्दिष्ट लोक अभियोजक या धारा 15 में निर्दिष्ट अधिवक्ता अभिप्रेत है।
(डक.). "अनुसूची": इस अधिनियम में अनुसूची का तात्पर्य उपबंध अनुसूची अभिप्रेत है।
(डख.). "सामाजिक बहिष्कार": सामाजिक बहिष्कार से तात्पर्य कोई रूढीगत सेवा अन्य व्यक्तियों को देने के लिये या उससे प्राप्त करने के लिये या ऐसे सामाजिक संबंधो से प्रतिबिरत रहने के लिये, जो अन्य व्यक्तियों से बनाये रखे जाए या अन्य व्यक्तियों से उसको अलग करने के लिये किसी व्यक्ति को अनुज्ञात करने से इंकार करना अभिप्रेत है।
(डग.). "पीड़ित": पीड़ित से तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों अभिप्रेत है, जो धारा 2 की उपधारा (1), के खंड (ग) के अधीन "अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति"की परिभाषा के भीतर आता है तथा जो इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के होने परिणामस्वरूप शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक या धनीय हानि या उस की सम्पति को हानि वहन या अनुभव करता है और जिसके अंतर्ग्रत उसके नातेदार, विधिक संरक्षक और विधिक वारिस भी है।
(डघ.). "साक्षी": साक्षी से तात्पर्य ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो इस अधिनियम के अधीन अपराध से अन्तर्वलित किसी अपराध के अन्वेषण, जाँच या विचारण के प्रयोजन के लिये तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित है या कोई जानकारी रखता है या आवश्यक ज्ञान रखता है और जो ऐसे मामले के अन्वेषण, जाँच या विचारण के दौरान जानकारी देने या कथन करने या कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिये अपेक्षित है या अपेक्षित हो सकेगा और जिसमे ऐसे अपराध का पीड़ित सम्मिलित है;
(च) उन शब्दों और पदों के, जो इस अधिनियम में प्रयुक्त है किन्तु परिभाषित नहीं है और संहिता या भारतीय दण्ड संहिता में परिभाषित है,वही अर्थ है जो, यथास्थिति संहिता में या भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45)भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) या दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 ( 1974 का 2) में परिभाषित है, यही अर्थ होना समझा जायेगा जो उन अधिनिय्मितियो में है।
इस अधिनियम में किसी अधिनियमित या उसके किसी उपबंध के प्रति किसी निर्देश का अर्थ किसी ऐसे क्षेत्र के संबंध में जिसमे ऐसी अधिनियमित या ऐसे उपबंध प्रवृत नहीं है यह लगाया जायेगा कि वह उस क्षेत्र में प्रवृत तत्स्थानी बिधि, यदि कोई हो, के प्रति निर्देश है।
अध्याय 02
अत्याचार :
धारा 3: अत्याचार के अपराधों के लिए दण्ड -
(3.1): कोई भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है -
3.1(क): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्यके मुख में कोई अखाध या घृणाजनक पदार्थ रखता है या ऐसे सदस्य को ऐसे अखाध या घृणाजनक
3.1(क.1):अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति केकिसी सदस्यके मुख में कोई अखाध या घृणात्मक पदार्थ रखता है या ऐसे सदस्य को ऐसे अखाध या घृणात्मक पदार्थ पीने या खाने के लिए मजबूर करेगा,
3.1(क.2):अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य दुवरा दखलकृत परिसरों में या परिसरों में प्रवेश द्वार पर मल -मूत्र , नल, पशु -शव या कोई अन्य घृणात्मक पदार्थ इकक्ठा करेगा।,
3.1(क.3): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को क्षति करने, अपमानित करने या क्षुब्द करने के आशय से उसके पड़ोस में मल -मूत्र , कूड़ा, पशु -शव या कोई अन्य घृणात्मक पदार्थ इकक्ठा करेगा,
3.1(क.4): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को जूतों की माला पहनाएगा या नग्न या अर्ध नग्न घुमायेगा,
3.1(क.5): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य पर बलपूर्वक ऐसा कोई कार्य करेगा, जैसा व्यक्ति के कपड़े उतरना, बलपूर्वक सिर का मुंडन करना, मुंछे हटाना, चेहरे या शरीर को पोतना या ऐसा कोई अन्य कार्य करना, जो मानव गरिमा के विरूद्ध है,
3.1(क.6): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के स्वामित्त्वाधीन या उसके आवंटित या किसी सक्षम प्राधिकारी दुवारा उसे आवंटित किये जाने के लिए अधिसूचित किसी भूमि को सदोष अधिभोग में लेगा या उस पर खेती करेगा या उस आवंटित भूमि को अंतरित करेगा,
3.1(क.7): अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को उसकी भूमि या परिसर से सदोष बेकब्जा करेगा या किसी भूमि या परिसरों या जल या सिंचाई सुविधाओं पर वन अधिकारों सहित उसके अधिकारों की उपभोग में हस्तक्षेप करेगा या उसकी फसल को नष्ट करेगा या उसके उत्पाद को ले जायेगा ; और आगे जाने अगले लेख मे
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