शनिवार, 1 अप्रैल 2023

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मानव-अधिकार-संरक्षण-एक्ट -1993
राज्य-मानवाधिकार-आयोग
Act
राज्य मानवाधिकार आयोग भाग एक (State Human Rights Commission Part One)
राज्य मानवाधिकार आयोग भाग एक (State Human Rights Commission Part One)
अध्याय 5: राज्य मानवाधिकार आयोग
धारा 21 राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन::
एक राज्य सरकार ...............(राज्य का नाम) मानवाधिकार आयोग के रूप में की जाने वाली एक संस्था का इस अध्याय के अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में तथा राज्य आयोग को समानुदेशित कार्यों को निष्पादित करने के लिए गठन करेगी ।
(2) आयोग में निम्न होगी :-
(क) अध्यक्ष जो उच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधीश रहा है।
(ख) एक सदस्य, जो उच्च न्यायालय का सदस्य है या सदस्य रहा है।
(ग) एक सदस्य जो, उस राज्य में एक जिला न्यायाधीश है या रहा है.
(घ) दो सदस्य जिनकी नियुक्ति उन व्यक्तियों में से की जाएगी जिन्हे मनव अधिकारों से संबंधित मामलों का
ज्ञान हो या उसमें व्यावहारिक अनुभव हो।
3. एक सचिव होगा जो, राज्य आयोग का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा तथा राज आयोग की ऐसी शक्तियों का प्रयोग करना एवं ऐसे कार्यों का निर्वहन करेगा जो उसे प्रत्यायोजित किए जाएंगे।
4. राज्य आयोग का मुख्य कार्यपालक ऐसे स्थान पर होगा, जो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करेगी।
5. राज्य आयोग संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची 2 और सूचित 3 मैं उल्लिखित प्रविष्टियों मैं किसी से
संबंधित मामलों के बारे में ही मानव अधिकारों के उल्लघन की जांच करेगा।
परंतु यह है कि यदि ऐसे किसी मामलों पर पहले से ही आयोग या तत्तसमय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन
विधिवत गठित किसी अन्य आयोग द्वारा जांच की जा रही हो तो राज्य आयोग उक्त मामलों में जांच नहीं करेगा।
परंतु यह कि जम्मू एवं कश्मीर मानव अधिकार आयोग के संबंध में यह उप धारा इस प्रकार प्रभाव रखेगी जैसे कि
मानो शब्दों एवं अंको से संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची 02 , सूची 03 को शब्द एवं अंक संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची 03 जो जम्मू और कश्मीर राज्य पर तथा उन मामलों के संबंध में प्रयोज्य है जिनके संबंध में उस राज्य के विधान मंडल को नियम बनाने की शक्ति है, दुवारा प्रतिस्थापित किया गया है।
धारा 22: राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति:-
(1) राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा अपने हस्ताक्षर एवं मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा की जाएगी।
परंतु यह है कि इस उप धारा के अधीन प्रत्येक की नियुक्ति समिति की, जिसमें निम्न होंगे, सिफारिश प्राप्त करने के बाद की जाएगी: -
(क) मुख्यमंत्री, राज्य मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष होगा,
(ख) विधानसभा का अध्यक्ष, राज्य मानव अधिकार आयोग का सदस्य होगा,
(ग) उस राज्य में गृह मंत्रालय का प्रभारी मंत्री, राज्य मानव अधिकार आयोग का सदस्य होगा,
(घ) विधानसभा में विपक्ष का नेता, राज्य मानव अधिकार आयोग का सदस्य होगा,
परंतु यह और कि, जहां किसी राज्य के विधान परिषद है वहां उस परिषद का सभापति एवं परिषद में विपक्ष का नेता भी समिति के सदस्य होंगे।
(2) राज्य आयोग के अध्यक्ष व सदस्य कोई नियुक्ति समिति में पात्र किसी रिक्ति के कारण अधिमान्य नहीं होंगे।
धारा 23: राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों का हटाया जाना: -
(1) उप धारा (2) के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए राज्य आयोग के अध्यक्ष या किसी सदस्यों को उसके पद से,
राष्ट्रपति के आदेश द्वारा, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को निर्देश दिए जाने पर उच्चतम न्यायालय के द्वारा उस संबंध में विहित प्रक्रिया के अनुसार की गई जांच पर यह रिपोर्ट देने के बाद कि अध्यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य यथास्थिति को किसी ऐसे सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर हटाया जाना चाहिए, हटाया जाएगा।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को आदेश द्वारा पद से हटा देगा, यदि अध्यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य, यथास्थिति -
(क) दिवालिया न्याय निर्णीत कर दिया गया है, या
(ख) अपने कार्यकाल में अपने पद के कर्तव्यों के बाहर किसी वैतनिक रोजगार में लगता है, या
(ग) मस्तिष्क या शरीर की दुर्बलता के कारण पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है, या
(घ) विकृत चित्त का है और सक्षम न्यायालय द्वारा इस प्रकार घोषित कर दिया गया है, या
(ङं) किसी अपराध के लिए जो राष्ट्रपति की राय में नैतिक पतन वाला है सिद्ध हो गया है और उसे कारागार की सजा दे दी गई है।
धारा 24: राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्यों की पदावधि:-
(1) अध्यक्ष के रूप में नियुक्त उस दिनांक से जिसको वह अपने पद पर प्रवेश करेगा, 5 वर्ष की अवधि के लिए या
जब तक वह 70 वर्ष की आयु का नहीं होगा इनमें से जो भी पूर्व में हो, पद को हरित करेगा।
(2) सदस्य के रूप में नियुक्त व्यक्ति उस दिनांक से जिसको वह अपने पद पर प्रवेश करेगा 5 वर्ष की अवधि के लिए पद को धारित करेगा और 5 वर्षों की दूसरी अवधि के लिए युक्तियुक्त हेतु पात्र होगा।
परंतु यही कि कोई भी सदस्य 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद पद को धारण नहीं करेगा।
(3) पद पर नहीं रहने पर, अध्यक्ष या सदस्य, राज्य सरकार या भारत सरकार के अधीन आगे और नियुक्ति के लिए अपात्र होगा।
धारा 25: कुछ परिस्थितियों में सदस्य द्वारा अध्यक्ष के रूप में कार्य करना या उसके कार्यों का निर्वहन करना:-
(1) अध्यक्ष की मृत्यु होने पर, त्यागपत्र देने पर या अन्यथा पद रिक्ति होने की दशा में राज्यपाल अधिसूचना
द्वारा किसी एक को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए उस रिक्ति को भरने के लिए अध्यक्ष की नियुक्ति किए जाने तक के लिए प्राधिकृत होगा।
(2) जब अध्यक्ष अवकाश पर अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने कार्यों पर निर्वहन करने में असमर्थ हो,
उन सदस्यों में से ऐसे एक जिसे राज्यपाल, अधिसूचना द्वारा सदस्यों में किसी एक को ऐसे अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए उस रिक्ति को भरने के लिए नये अध्यक्ष की नियुक्ति किए जाने तक के लिए प्राधिकृत होगा।
(3) जब अध्यक्ष अवकाश पर अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा अपने कार्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो,
उन सदस्यों में से ऐसा एक जिसे राज्यपाल, अधिसूचना द्वारा इस संबंध में प्राधिकृत करें, अध्यक्ष के कार्यों का
निर्वहन उस दिनांक तक करेगा जिसको की अध्यक्ष अपने कर्तव्यों को पुर्नग्रहण करेगा।
धारा 26: राज्य आयोग के सदस्यों की सेवा और शर्तें:-
सदस्यों को संदेय वेतन और भत्तों और उनकी सेवा की अन्य शर्ते व निबंधन वे होंगे जो राज्य सरकार द्वारा
विहित की जाएगी।
परंतु यह कि किसी सदस्य के न तो वेतन एवं भत्ते और न उसकी सेवा की शर्तें एवं निबंधन उनकी नियुक्ति के
बाद उसके लिए लाभकारी रूप में परिवर्तितनहीं की जायेगी।
धारा 27: राज्य आयोग के अधिकारी और अन्य कर्मचारी:-
(1) राज्य आयोग के लिए निम्न को उपलब्ध कराएगी:
(क) एक अधिकारी जो राज्य सरकार के सचिवों के रैंक के नीचे का नहीं होगा जो राज्य आयोग का सचिव होगा,
और
(ख) एक ऐसे अधिकारी के अधीन जो महानिरीक्षक पुलिस के रैंक के नीचे का नहीं हो ऐसी पुलिसऔर
अन्वेषणकर्ता कर्मचारी एवं ऐसे अन्य कर्मचारी जो राज्य आयोग के कार्यों के कुशलतापूर्वक निष्पादन के लिए
आवश्यक होगे।
(2) ऐसे निमियों के अध्यधीन जो इस संबंध में राज्य द्वारा बनाए जाएंगे राज्य आयोग ऐसे अन्य प्रशासनिक
तकनीकी और वैज्ञानिक स्टॉप नियुक्त करेगा जिसे वह आवश्यक समझेगा।
(3) उपधारा (2) के अधीन नियुक्ति अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन व भत्ते और उनकी सेवा की शर्तें
होगी जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएंगी
धारा 28: राज आयोग के वार्षिक एवं विशेष प्रतिवेदन:-
(1) राज्य आयोग राज्य सरकार को एक वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा और किसी भी समय किसी भी मामले
पर जो उसकी राय, में इतनी आवश्यकता एंव महत्व का है कि वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने किए जाने तक उसे
आस्थगित नहीं रखा जाना चाहिए, विशेष प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।
(2) राज्य सरकार राज्य आयोग के वार्षिक और विशेष प्रतिवेदनों को आयोग की सिफारिश पर की गई या की
जाने के लिए प्रस्तावित कार्यवाही के ज्ञापन और उन सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने के कारण यदि कोई हो के
साथ राज्य विधानमंडल के जहां इसके दो सदन हो, प्रत्येक सदन या जहां विधानमंडल में केवल एक सदन हो,
उस सदन के समक्ष प्रस्तुत करवायगा।
धारा 29: राष्ट्रीय आयोग से संबंधित कुछ उपबंधों का राज्य मानवाधिकार आयोग का प्रयोज्य होना:-
धाराएं 9, 10, 12, 14, 16, 17, 18 के उपबंध राज्य आयोग पर लागू होंगे तथा निम्नलिखित रूपांतरण के अध्यधीन होंगे अर्थात,
(ख) धारा 10 की उपधारा (3) में शब्द महासचिव के स्थान पर शब्द सचिव प्रतिस्थापित किया जाएगा।
(ग) धारा 12 में खंड (च) को विलोपित किया जाएगा।
(घ) धारा 17 के खंड (1) में शब्द भारत सरकार या कोई विलोपित किए जाएंगे।
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